प्रेम का अप्रतिम सौंदर्य खजुराहो में घूमने की जगह – Khajuraho Tourist Places

 

Best Places In Khajuraho In Hindi

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Places To Visit In Khajuraho In Hindi

Khajuraho Tourist Guide In Hindi

 

 

Khajuraho Tourist Places In Hindi

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो हमारे देश की कला का उत्कृष्ट मध्यकालीन स्मारक है। भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व से लोग प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए आते रहते है। खजुराहो में कई वर्षों पूर्व खजूर के सैकड़ों पेड़ थे इसलिए इसे ‘खजूरपुरा’ और ‘खजूर वाहिका’ के नाम से भी जाना जाता था, यही नाम समय के साथ बदलकर खजुराहो पड़ गया। यहाँ के प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर पत्थरों पर बहुत खूबसूरती के साथ उकेरी गई विभिन्न कामक्रीडाओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। खजुराहो के मंदिरों में संभोग के विभिन्न आसनों को देखकर जरा भी अश्लीलता या भोंडेपन का अहसास नहीं होता है। यहाँ धर्म के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष एक साथ देखने को मिलते हैं। इस मंदिरों का मूर्तिशिल्प और कला की भव्यता, सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए युनेस्को ने 1986 में इन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।  इसका अर्थ यह हुआ कि इसकी मरम्मत और देखभाल के लिए सम्पूर्ण विश्व उत्तरदायी होगा। नवविवाहित युगलों के लिए खजुराहो भारत का बेस्ट हनीमून प्लेस है।

 

खजुराहो कैसे पहुंचे ?

एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के कारण खजुराहो तक पहुंचना सरल है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो में डोमेस्टिक एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन है, जो इसे भारत के सभी प्रमुख शहरों जोड़ते है।

वायु मार्ग से खजुराहो कैसे पहुंचे

खजुराहो शहर से सिर्फ 08 किमी. दूर एयरपोर्ट है। आपको खजुराहो एयरपोर्ट के लिए दिल्ली, आगरा और वाराणसी से आसानी से फ्लाइट मिल जाएगी। दूसरा सबसे निकट एयरपोर्ट जबलपुर एयरपोर्ट है, जो खजुराहो से 270 किमी. की दूरी पर स्थित है। खजुराहो एयरपोर्ट से शहर तक पहुचने के लिए आपको टैक्सी मिल जाएगी।

रेल मार्ग से खजुराहो कैसे पहुँचे?

खजुराहो रेलवे स्टेशन में कुछ ही ट्रेनें रुकती हैं। भोपाल और इंदौर से महामना एक्सप्रेस खजुराहो तक जाती है। रेलवे स्टेशन से खजुराहो 5 किमी दूर है। प्राइवेट ऑटो का 100 रूपये और सवारी ऑटो का 10 रूपये किराया लगता है। दूसरा निकटतम रेलवे स्टेशन महोबा खजुराहो से 63 किमी दूर है। यहाँ से जबलपुर, ग्वालियर, मुंबई, मथुरा, ग्वालियर, इलाहाबाद, वाराणसी, कोलकाता आदि शहरों से नियमित ट्रेनें चलती हैं। तीसरा विकल्प झाँसी रेलवे जन्शन है, जिससे खजुराहो 174 किमी दूर है।

सडक द्वारा

खजुराहो शहर भोपाल, ग्वालियर, झांसी, ओरछा, चित्रकूट, सतना, कटनी, बांधवगढ़, छतरपुर आदि से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश के आसपास के शहरों से मध्य प्रदेश टूरिस्म की कई सीधी बसें उपलब्ध हैं। इन सभी शहरों से गवर्नमेंट और प्राइवेट बस या टैक्सी द्वारा खजुराहो पंहुच सकते है।

 

खजुराहो में कहाँ ठहरें?

खजुराहो में कई प्रकार के AC और NON AC होटल हैं। जहाँ पर 600 रुपये से लेकर 6000 रुपये में अच्छे रूम मिल जाएंगे। इसके अलावा मध्य प्रदेश टूरिस्म के होटल में भी रूम उपलब्ध रहते है।

 

खजुराहो जाने का सही समय (Best Time To Visit Khajuraho)

मध्य प्रदेश सरकार हर साल फरवरी में खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन करती है। इस दौरान देश के प्रमुख क्लासिकल डांसरों को, खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिरों की पृष्ठभूमि में रंग-बिरंगी रोशनी के बीच नृत्य करते देख कर आनंद आ जाता है। इसका टिकट फ्री होता है। यह खजुराहो यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है। गर्मियों में खजुराहो का तापमान बहुत ज्यादा होता है, इसलिए गर्मियों के अलावा आप साल में कभी भी खजुराहो जा सकते है।

 

खजुराहों के मंदिरों के निर्माण की पौराणिक कथा

खजुराहो में बने हुए मंदिर लगभग 1000 साल पुराने है। 950 और 1050 ईसवी के बीच खजुराहों के इस प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के शासक चंद्रवर्मन ने करवाया था। प्राचीन समय में खजुराहो के पृथ्वीराज रासो के दरबारी कवि चंदबरदाई ने में चंदेल वंश की उत्पत्ति के बारे यह लिखा है कि काशी के राजपंडित की बेटी हेमवती अत्यंत सुन्दर थी। एक बार ग्रीष्मकालीन रात्रि के समय सुन्दर कमल के फूलों से भरे तालाब में नहा रही थी। हेमवती का अपूर्व सौन्दर्य देख कर भगवान चन्द्र उन पर आकर्षित हो गए और धरती पर आकर मानव रूप धारण कर और हेमवती का हरण कर लिया। हेमवती एक विधवा नारी और एक छोटे बालक की मां भी थी। उन्होंने चन्द्रदेव पर जीवन नष्ट करने और चरित्र हनन का आरोप लगाया। चन्द्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने हेमवती को वर दिया कि उसका पुत्र एक महान राजा बनेगा। चन्द्रदेव ने हेमवती से यह भी कहा कि वो अपने पुत्र को खजूरपूरा ले जाये। उनका पुत्र भविष्य में महान राजा बनने के बाद बाग़ और झीलों से घिरे हुए भव्य मंदिरों का निर्माण करवाएगा। चन्द्रदेव ने यह भी कहा कि वो राजा बनने के बाद उसे विशाल यज्ञ का अनुष्ठान करना होगा, जिससे तुम्हारे सारे पाप धुल जायेंगे। हेमवती के पुत्र का नाम चन्द्रवर्मन था वह मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता की तरह बहुत ही बहादुर, तेजस्वी और ताकतवर हो गया था। चन्द्रवर्मन की इस वीरता को देखकर चन्द्रदेव ने उसे पारस पत्थर भेंट किया और उसको खजुराहो का राजा बना दिया। पारस पत्थर लोहे को सोने में बदलने की क्षमता रखता था।

राजाचन्द्रवर्मन ने एक के बाद एक कई युद्ध लड़े और विजय प्राप्त की। चन्द्रवर्मन ने कालिंजर नाम के विशाल किले का निर्माण भी करवाया। अपनी माता के इच्छानुसार उसने खजुराहो में तालाबों और उद्यानों से घिरे हुए 85 बेहद खूबसूरत और भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जो कि अपने आर्कषण की वजह से आज भी पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। इसके बाद उसने एक विशाल यज्ञ का आयोजन भी किया जिससे उसकी माता हेमवती पाप से मुक्त हुई।

 

Khajuraho Places To Visit In Hindi

खजुराहो में पश्चिम समूह के मंदिर भ्रमण

खजुराहो के पश्चिम समूह के मंदिरों को देखने का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक है। मंदिरों को समझने के लिए गाइड लेना आवश्यक है। यदि गाइड नही लेना चाहते है तो मात्र 70 रूपये में स्वचलित हेड फोन वाला आडियो गाइड ले सकते है। एंट्री टिकट 10 रूपये प्रति व्यक्ति है। मंदिरों को घूमने के बाद इन टिकट को फेकियेगा नहीं क्योकि आप इन्ही टिकट पर खजुराहो म्यूजियम देख सकते है। खजुराहो के मंदिरों को साइकिल से भी देख सकते है। यह साइकिलें 30 रूपये प्रति घंटे की दर से से प्राप्त मिल जाती है। आप जो भी मंदिर के अंदर प्रवेश करे तो अपनी सारी विलासिताओं से भरे मन को बाहर छोड़ साफ़ मन से प्रवेश करे। इसलिए इन मूर्तियों का चित्रण सिर्फ मंदिर की बाहरी दीवारों पर किया गया है

 

Khajuraho Tourist Places Map

 

मंतगेश्वर मंदिर, खजुराहो

सबसे पहले आपके सामने मंदिर समूह परिसर के एक विशाल उद्यान में ऊंचे शिखर वाले अनेक मंदिर दिखेगे जो ऊँचे चबूतरों पर बने हैं। मंतगेश्वर जो सबसे प्राचीन मंदिर है, यह सबसे पहला मंदिर है। राजा हर्षवर्मन ने इसे 920 ई. में बनवाया था। यह मंदिर पिरामिड शैली में बना है, इसके गर्भगृह में करीब एक मीटर व्यास का ढाई मीटर ऊंचा शिवलिंग बना है।

 

लक्ष्मण मंदिर, खजुराहो

मंतगेश्वर मंदिर के बाद लक्ष्मण मंदिर खजुराहो के मंदिरों में दूसरे नंबर पर आता है। पंचायतन शैली में बने इस मंदिर का निर्माण 930-950 ईसवी के मध्य में किया गया था। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की त्रिमूर्ति प्रतिमा स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित इस भव्य और आकर्षक मंदिर की बहरी दीवारों पर अनगिनत मूर्तियां बनी हैं। भगवान विष्णु, शिव, अग्निदेव, गंधर्व, सुर-सुंदरी, देवदासी, तांत्रिक, पुरोहित और काम कला की इन मूर्तियों की भाव-भंगिमाएं और सुंदरता देखते ही बनती है। इन प्रतिमाओं में नृत्य, संगीत, युद्ध, शिकार आदि तत्कालीन जीवन के दर्शन होते हैं। इस मंदिर में बने सामूहिक मैथुन की मूर्तियां भी भारतीय कला के अद्भुत शिल्प को व्यक्त करती हैं। लक्ष्मण मंदिर के सामने बने लक्ष्मी मंदिर एवं वराह मंदिर को भी इसी समय देख लीजिये।

 

विश्वनाथ मंदिर, खजुराहो

विश्वनाथ मंदिर खजुराहो के पश्चिम समूह के अति सुंदरों में से एक है। पंचायतन शैली में बना यह मंदिर शिव को समर्पित है। 90 फुट ऊँचे और 45 फुट चौड़े इस मंदिर का निर्माण राजा धंगदेव ने 1002 ईस्वी में द्वारा करवाया था। मंदिरों में राजसभा, रासलीला, देवता, अष्टदिगपाल, नाग कन्याएं, अप्सराएं, विवाह, उत्सव, वीणा वादिनी एवं पैर से कांटा निकलती अप्सरा आदि मूर्तियां के शिल्प बने  हैं। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के साथ नंदी पर आरोहित शिव प्रतिमा स्थापित की गयी है।

 

चित्रगुप्त मन्दिर (सूर्य मंदिर), खजुराहो

भगवान सूर्यदेव को समर्पित चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो का एक बहुत पुराना मंदिर है। 11वीं सदी में निर्मित इस मंदिर की दीवार पर बहुत ही सुंदर और बारीक नक्काशी की गई है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण 5 फुट ऊँचे सात घोड़ों वाले रथ पर खड़े सूर्यदेव की मनमोहक प्रतिमा है। इस मंदिर में दर्शाया गया भगवान् विष्णु का ग्यारह सर वाला रूप अद्भुद है। मंदिर में की दीवारों पर राज्यसभा में होने वाले सामूहिक नृत्य और राजाओं के शिकार के द्रश्य सुन्दरता के साथ बनाये गये है। इसके साथ साथ बहुत सारी पत्थर की नक्काशी और कुछ कामुक प्रेम दर्शाते प्रेमी जोड़े बेहद आकर्षक प्रतीत होते हैं।

 

कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो

कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो में बने मंदिरों में सबसे विशाल मंदिर है। भगवान शिव के एक नाम कंदर्पी है, यही कंदर्पी नाम कालांतर में कंदरिया में बदल गया, जिसके कारण इस मंदिर के कंदरिया महादेव मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनवी को दूसरी बार परास्त करने के बाद 1065 इसवी के आसपास इस मंदिर का निर्माण करवाया था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की बनावट और अलंकरण भी अत्यंत वैभवशाली है। लगभग 117 फुट लम्बे ,66 फुट चौड़े एवं 117 फुट ऊँचे इस विशालतम मंदिर के अंदर भी 226 मूर्तियां और बहरी दीवारों पर कुल 646 मूर्तियां जड़ी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार कमल पुष्प, नृत्यमग्न अप्सराएं तथा व्याल उकेरे गये हैं। शिव की चारमुखी प्रतिमा के पास ही ब्रह्मा एवं विष्णु भी प्रतिमाएं बनी हैं। गर्भगृह में संगमरमर का विशाल शिवलिंग स्थापित है। मंदिर की छतों पर भी कई सुंदर चित्र और बहरी दीवारों पर सुर-सुंदरी, नर-किन्नर, देवी-देवता व प्रेमी-युगल पाषाण कला के सुंदर रूपों में अंकित हैं।

 

देवी जगदम्बा मंदिर, खजुराहो

देवी जगदंबिका मंदिर या जगदंबिका मंदिर खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर के उत्तर में स्थित है। इसका निर्माण 1000 से 1025 ईसवीं के बीच किया गया था। इसके कई वर्षों बाद के महाराजा ने मंदिर के गर्भगृह में देवी पार्वती की विशाल प्रतिमा स्थापित करवाई थी। इस मंदिर को भी अद्भुद नक्काशी से सुसज्जित किया गया है।

इन मंदिरों के अलावा लक्ष्मी मंदिर, वराह मंदिर, सिंह मंदिर, नंदी मंदिर भी दर्शनीय है।  

 

खजुराहो पुरातत्व संग्रहालय, खजुराहो

मातंगेश्वर मंदिर के पास स्थित खजुराहो पुरातत्व संग्रहालय को आप उसी टिकट पर घूम सकते है, जिस टिकट पर आपने ऊपर दिए गये मंदिर देखे थे। 1967 में बने इस संग्रहालय में खजुराहो के मंदिरों से लाई गई अनेक वास्तुकलाओं तथा मूर्तियों के अवशेष रखे हैं। इसमें पाँच बड़ी गैलरियाँ में  ब्राह्मण, बौद्ध और जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियाँ तथा 2000 से अधिक शिलालेख हैं। यहाँ पर बैठी हुई मुद्रा में बुद्ध की मूर्ति और चार सिर वाले विष्णु भगवान की प्रतिमा विशेष आकर्षण है। यह संग्रहालय सुबह दस से शाम साढे चार बजे तक खुला रहता है।

 

साउंड एंड लाइट शो, खजुराहो

साउंड एंड लाइट शो खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों को जानने में मदद करता है। इस शो में अमिताभ बच्चन की जादुई आवाज में लाइट और साउंडट्रैक की मदद से खजुराहो के मंदिरों, उनके इतिहास, इन मंदिरों के निर्माण, कला, मूर्तिकला से संबंधित बहुमूल्य जानकारी बताते हैं। यह शो 6:30 PM से 7:30 PM तक English में और 7:40 PM से 8:35 PM तक हिंदी में दिखाया जाता है।

 

खजुराहो के पूर्वी समूह के मंदिर भ्रमण, खजुराहो

शहर से थोडा दूर खजुराहो के पूर्वी समूह के मंदिरों में 4 जैन तथा 3 हिन्दू मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों को देखने के लिए ऑटो का किराया 300 रूपये और टैक्सी का किराया 500 रूपये लगता है आप किराय की साइकिल से भी इन मंदिरों को घूमने का आनंद ले सकते है।

 

पूर्वी समूह में स्थित खजुराहो के हिन्दू मंदिर

पहला मंदिर ब्रह्मा मंदिर है जो 925 ईसवीं में पिरामिड शैली में बनाया गया है। यहाँ भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति के साथ यहां भगवान शिव और विष्णु की मूर्ति भी स्थापित हैं। दूसरा 1050 से 1075 ईसवीं के मध्य बना मंदिर वामन मंदिर है जो ब्रह्मा मंदिर से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में शिव-विवाह का खूबसूरत द्रश्य को पत्थरों उभारा गया है। इस मंदिर की दीवारों पर एकल और प्रेमी युगलों के कुछ आलिंगन द्रश्य बने हैं। जवारी मंदिर वामन मंदिर से थोड़ा-सा आगे स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1050 से 1075 ईसवीं के बीच किया गया था। इसमें भगवान विष्णु के बैकुंठ रूप में दर्शन होते हैं। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर नक्काशी से कई कामक्रीडाओं के दृश्य बनाये गये हैं।

 

पूर्वी समूह में स्थित खजुराहो के जैन मंदिर

ये सभी मंदिर एक साफ सुथरे परिसर में स्थित है। दिगम्बर सम्प्रदाय इन सभी जैन मंदिरों की बहुत अच्छी देखभाल करता है। इन जैन मंदिरों में पूजा की जाती है और जैन धर्म की शिक्षा दी जाती है। यहाँ के मंदिरों में कामुक मूर्तियाँ नहीं हैं। यहाँ प्रवेश द्वार पर देवी और देवताओं की प्रतिमाएं बनाई गई हैं। पा‌र्श्वनाथ मंदिर की बाहरी दीवारों पर कई तीर्थंकर प्रतिमाएं और अखारूढ़ जैन शासन देवताओं का सुंदर चित्रण किया गया है। यहां पेड़ पौधे, देवी-देवता, गंधर्व, किन्नर, उड़ते यक्ष-यक्षिणी और अप्सराएं की सुंदर मूर्तियों उकेरी गई हैं। पार्श्‍वनाथ मंदिर के उत्तर में आदिनाथ मंदिर स्थित है। इस के गर्भगृह में आदिनाथजी की पूज्य प्रतिमा बनी हैं। शान्तिनाथ मंदिर में यक्ष दंपत्ति की दुर्लभ प्रतिमाएं आकर्षक का केंद्र हैं।

 

चतुर्भुज मंदिर – दक्षिणी समूह, खजुराहो

1100 ई. में बनाया गया चतुर्भुज मंदिर खजुराहो के दक्षिणी समूह में स्थित है। एक चैकोर मंच पर स्थित इस मंदिर में जाने के लिए आपको दस सीढि़याँ चढ़नी पड़ती है। मंदिर के प्रवेशद्वार भव्य है, जिस पर हिंदु धर्म की त्रिशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिव के चित्रों को नक्काशी करके बनाया गया है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली 9 फीट ऊँची मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार तथा शिव के अर्धनारीश्वर रूप की मूर्तियाँ भी स्थित हैं।

 

दक्षिणी समूह – दूल्हादेव मंदिर (कुंवरनाथ मंदिर), खजुराहो

भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध दूल्हादेव मंदिर खजुराहो के मंदिरों के दक्षिणी समूह में स्थित  है। इस मंदिर में भगवान शिव के सुन्दर विशाल शिवलिंग पर शहत्रमुखी छोटे-छोटे शिवलिंग बने हैं और माता पार्वती की मनमोहक मूर्तियाँ स्थित है। मंदिर के अंदरूनी हिस्सों और दीवारों को अद्वितीय शैली की बारीक नक्काशी से सजाया गया है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर स्त्रियों, अप्सराओं की भावभंगिमाओं से पूर्ण सौन्दर्यमयी प्रतिमाएं बनी है।

इस अकल्पनीय संसार और भारतीय मंदिर कला के उच्चतम शिल्प के दर्शन करके हम चलते है खजुराहो के आस-पास प्राक्रतिक सौन्दर्य की ओर।

 

रनेह जलप्रपात, खजुराहो

रनेह जलप्रपात खजुराहो से 22 कि.मी और पन्ना से 44 कि.मी दूरी पर स्थित एक प्राकृतिक जल प्रपात है। यह झरना चट्टानों के बीच स्थित है। विशाल रनेह जलप्रपात पर क्रिस्टल ग्रेनाइट, लाइम-स्टोन, काग्लोमरेट, बेसाल्ट तथा डोलोमाइट की परतदार चट्टानों का रंग बिरंगा खूबसूरत नजारा सैलानियों  को बेहद आकर्षित करता है। हरे जंगलों से घिरा ये प्राकर्तिक जलप्रपात कुदरत के अद्भुद नजारों को दिखाता है। इस झरने के निर्मल पानी का गुलाबी, लाल, ग्रे, हरे रंग चट्टानों के उपर से बहना और इन रंगीन पत्थरों पर सूर्य की रोशनी का चमकना एक अप्रतिम सौंदर्य के स्वर्गीय दृश्य का निर्माण करता है। यहाँ का सुबह सूर्योदय और शाम को सूर्यास्त का वातावरण आपका मन मोह लेगा।

 

पांडव गुफाएं और फॉल्‍स, खजुराहो

पांडव जलप्रपात पन्‍ना शहर से लगभग 12 किमी. की दूरी पर पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क के बहुत पास स्थित है। जब पांडवों अपने अज्ञातवास के समय यहां आए थे और इसी झरने के पास एक गुफा में उन्होंने अस्त्र शास्त्र छिपाए थे। बाद में इसी घटना के कारण इस जल प्रपात का नाम पांडव फाल पड़ा। सड़क से पांडव गुफाओं और झरने तक पहुचने के लिए 300 सीढियाँ उतरनी पड़ती है। हरे-भरे जंगलों से घिरे इस झरने में साल भर पानी रहता है। यह पानी लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता हुआ एक पूल में जमा हो जाता है। इसी झरने के पास वे गुफाएं है जहाँ पांडवों और महारानी द्रोपदी ने अपना समय बिताया था। पांडव फॉल्स में आपको असीम शांति, पवित्रता और मनमोहक वातावरण का अहसास होगा।

 

पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क, खजुराहो

खजुराहो के पास पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में प्रकति का एक अद्भुद नजारा आपको देखने को मिलेगा। यहाँ आपको जंगल में घूमते हुए बाघ के साथ साथ तेंदुआ, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और भालू मिल जायेंगे। इसके अलावा 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों में लाल सिर वाला गिद्ध, हंस, हनी बुज़ार्ड और भारतीय गिद्ध शामिल हैं। इस उद्यान में आप सफारी राइड ऑनलाइन बुक कर सकते हैं।

 

Dharamshala in Khajuraho – खजुराहो में धर्मशाला, होम स्टे, लॉज, गेस्ट हाउस और सस्ती होटल की जानकारी

 

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