श्री द्वारकाधीश धाम, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और बेट द्वारका दर्शन एक ही यात्रा में – Dwarka Tourist Places In Hindi

 

Dwarka Places to Visit in Hindi

Dwarka Dham Tour Guide in Hindi

 

 

Dwarka Darshan Hindi

गुजरात के जामनगर जिले में स्थित द्वारका भारत के 4 धाम में से एक धाम होने के साथ ही सात मोक्षदायी तथा अति पवित्र नगरों अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, काञ्चीपुरम, अवन्तिका (उज्जैन), द्वारिकापुरी में से एक है। अरब सागर के किनारे बसी द्वारका समुद्री चक्रवात तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण अब तक छः बार समुद्र में डूब चुकी है। अभी जो द्वारका नगरी हमारे सामने उपस्थित है, वह सातवीं बार बसाई गई द्वारका है। यह शहर ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के अलावा श्री द्वारकाधीश मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है। श्री द्वारकानाथ का दर्शन करने लाखों तीर्थयात्री प्रतिवर्ष यहाँ आते रहते हैं।

 

द्वारका कैसे पहुंचे?

एयरप्लेन से द्वारका कैसे पहुंचे?

द्वारका से लगभग 127 किलोमीटर की दूरी पर जामनगर एयरपोर्ट और 107 किलोमीटर की दूरी पर पोरबंदर एयरपोर्ट स्थित है। यहाँ से आप टैक्सी या कैब के जरिये द्वारका पहुँच सकते हैं। अगर आपके शहर से इन एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट नहीं है तो आप मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट आ जाइये, वहाँ से नियमित फ्लाइट उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग से द्वारका कैसे पहुंचे?

द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए भारत के प्रमुख शहरों से रेल सेवा उपलब्ध है। अगर आपके शहर से द्वारका के लिए डायरेक्ट ट्रेन उपलब्ध नही है, तो आप राजकोट, अहमदाबाद या जामनगर आ सकते है। यहाँ की रेलवे लाइनें पूरे देश में फैली हुई है, जो गुजरात को भारत के सभी शहरों से जोड़ती हैं।

सड़क मार्ग से द्वारका कैसे पहुंचे?

द्वारका सड़क मार्ग कई राज्य के राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। देश के कई बड़े शहरों से द्वारका के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध है। द्वारका और आसपास के शहरों से राज्य परिवहन के अलावा प्राइवेट AC / NON AC बसें  नियमित अंतराल पर मिल जाती हैं।

 

द्वारका में ठहरने की व्यवस्था

द्वारका में रुकने के लिए रिलाइंस ट्रस्ट के कोकिला धीरजधाम सबसे उचित स्थान है। यहाँ नॉन एसी रूम 600 रूपये में और एसी रूम 980 रूपये में उपलब्ध है। होटल में 600 रूपये में नॉन एसी और 1000 रूपये से एसी रूम मिलना शुरू होता है। धर्मशालाओं में डोरमेट्री बेड 200 रूपये, रूम 400 में और हॉल में 100 रूपये प्रति व्यक्ति ठहरने के लिए मिल जाता है।

द्वारका की धर्मशालाओं की जानकारी के लिए लिंक नीचे दिया गया है।

Dharamshala in Dwarka – द्वारका में धर्मशालाओं की जानकारी, कम किराये में अच्छी धर्मशाला

 

भगवान श्री कृष्ण ने बसाई द्वारका

गोमती नदी के तट पर बसा यह पौराणिक नगर द्वारका भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान था। जब श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा कंस का वध किया, तो उसके ससुर जरासंध क्रोध से पागल हो गए। जरासंध ने 17 बार भगवान कृष्ण की राजधानी मथुरा पर आक्रमण किया और अपने दामाद कंस की मृत्यु का बदला लेने की कोशिश की। जरासंध के बार बार आक्रमण करने से लोगों का जीवन, व्यापार और खेती बर्बाद हो रही थी। लोगों का जीवन बचाने और बार बार के नुकसान से बचने के श्री कृष्ण ने लड़ाई के मैदान को छोड़ दिया और रणछोड़जी नाम भी विख्यात हुए।

यादववंशी श्री कृष्ण ने वर्तमान में ओखा के निकट बारह योजन की भूमि पर (बेट द्वारका) पर अपना राज्य स्थापित किया। द्वारका एक सुनियोजित, सुव्यवस्थित, आवासीय और वाणिज्यिक शहर था, जिसमे सोने, चांदी और अन्य कीमती पत्थरों से बने महल, सुंदर उद्यान और झीलें भी थीं। द्वारका को स्वर्ण का शहर कहा जाने लगा और भगवान श्री कृष्ण को द्वारकाधीश के नाम से विश्व में पूजे गये।

 

श्री द्वारकाधीश दर्शन

आप भगवान द्वारकाधीश का मंदिर जिसे जगद मंदिर भी कहा जाता है के पास पहुँच जाइये। आप इस 5 मजिल ऊँचे भव्य मंदिर की सुन्दरता देखकर और मंदिर के शिखर पर लहराती मनमोहक विशाल ध्वजा को देखकर पलके भी नहीं झपका पाएंगे। मंदिर के शिखर की यह बहुरंगी 84 फुट लम्बी ध्वजा प्रतिदीन पांच बार बदली जाती है। द्वारकाधीश को अर्पण करने के लिए तुलसीदल (मंजरी) की माला और माखन मिश्री का प्रसाद श्रद्धानुसार ले सकते है। मंदिर में 2 द्वार है मोक्ष द्वार और स्वर्ग द्वार। आपको स्वर्ग द्वार से मंदिर के भीतर प्रवेश करना है। दर्शन लाइन में लगने के बाद 1-2 घंटे का समय द्वारकाधीश तक पहुचने में लगता है। व्यर्थ की बातें करके अपना समय खराब न करें, आप द्वारकाधीश मंदिर में खड़े है, मन ही मन जय श्री कृष्णा, गोपाल कृष्णा, राधे कृष्णा, जय श्री कृष्णा हरे  हरे का अपनी इच्छानुसार जाप करते रहें। समय पंख लगाकर उड़ जायेगा और आप गर्भगृह में द्वारकाधीश के सम्मुख आ जायेंगे। अब आपको द्वारका में विराजित लोक-पालक, ब्रह्मांड नायक, राजाधिराज श्री द्वारकाधीश के दिव्य दर्शन होंगे। आप इनके श्यामवर्णीय, चतुर्भुज, अपने 4 हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किये, कई माणिक रत्नों के आभूषण से सुसज्जित, सुन्दर वेशभूषा से सजे रूप को निहारते रहिये और इन्हें अपने अंतर्मन में बसा लीजिये ताकि जब भी आप अपनी आंखे बंद करें तो आपको श्री द्वारकाधीश के दर्शन हो जायें। दर्शन करने के बाद आप मोक्ष द्वार से बाहर की ओर आ जाइये, जहाँ आपको गोमती नदी के दर्शन होंगे।

समय सारिणी

दर्शन समय

6:30 AM – 1:00 PM,

5:00 PM – 9:30 PM

आरती

6:30 AM, 10:30 AM, 7:30 PM, 8:30 PM

मंदिर में ग्यारह बार श्री द्वारकाधीश के सम्मुख भोग समर्पित किये जाते हैं। मंगलाभोग, मक्खन मिश्री भोग, सांब भोग, श्रृंगार भोग, मध्यान्हः भोग, राजभोग, बन्ठा भोग, उत्थापन भोग, संध्या भोग, शयन भोग और शयन बंठा भोग।

 

गोमती घाट और मंदिरों के दर्शन, द्वारका

गोमती नदी के किनारे नौ घाट है। जहाँ सरकारी घाट के पास एक निष्पाप कुण्ड है, यहाँ आप गोमती नदी का दर्शन और स्नान कर लीजिये। यहाँ सावलिया जी मंदिर, गोबरधननाथ मंदिर, महाप्रभु बैठक और वासुदेव घाट पर हनुमानजी का मन्दिर है। आखिर में संगम घाट आता है, यहां गोमती नदी का समुद्र से संगम होता है। इस संगम घाट पर नारायणजी का बहुत बड़ा मन्दिर है।

 

पंच नंदन तीर्थ और समुद्र नारायण मंदिर दर्शन, द्वारका

आप गोमती घाट के पास बने सुदामा सेतु को पार करके पंचनंदन तीर्थ आ जाइये। यह सुदामा सेतु ऋषिकेश के लक्ष्मण झूले जैसा दीखता है। यहाँ पांच पांडव के नाम पर पांच कुण्ड बने है। आप इन पांचों कुण्ड के जल का आचमन कर लीजिये, आपको आश्चर्य होगा कि चारों तरफ समुद्र का गहरा खारा पानी होने के बाद भी इन कुण्ड के जल का स्वाद मीठा और एक दूसरे से भिन्न है। यहाँ प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर है, जिसके आँगन में अद्भुद पेड़ है। ऐसा पेड़ आपने पहले नहीं देखा होगा, इस पेड़ के नीचे ऋषि दुर्वासा ने तपस्या की थी।

 

द्वारका बीच

द्वारकाधीश मंदिर से करीब 1 किमी की दूरी और समुद्र नारायण मंदिर से कुछ क़दमों की दूरी पर द्वारका बीच है। यहाँ दूर दूर तक फैला सफ़ेद रेत का समुद्री तट द्वारका में आराम करने के लिए सबसे अच्छी जगह है। यहाँ आप ऊंट की सवारी का आनंद ले सकते है। यहाँ समुद्र की लहरे ऊँची आती है इसलिए समुद्र में उछलकूद करते समय ज्यादा आगे तक न जाएँ और बच्चों का ध्यान रखे। शाम को यहाँ शांत और खूबसूरत वातावरण निर्मित हो जाता है।

 

द्वारका के निकट अति महत्वपूर्ण स्थलों का दर्शन

द्वारका के पास कई महत्वपूर्ण स्थल है, जिन्हें देखे बिना यात्रा अधूरी है। आप इन जगहों के दर्शन के लिए 2 तरह से जा सकते है, पर्सनल टैक्सी या बस से। द्वारकाधीश मंदिर के पास लोकल मार्किट में पर्सनल टैक्सी या बस में बुकिंग के लिए ट्रेवल एजेंट की दुकाने बनी है।

1 – पर्सनल टैक्सी से आप 6-8 घंटे में करीब 600 से 800 रुपये का चार्ज देकर सारी देखने वाली जगहों पर घूमने जा सकते है।

2 – बस द्वारका से सुबह 8 बजे और दोपहर 12 बजे निकलती है। आप सुबह 8 बजे वाली बस को बुक करें क्योकि दोपहर 12 बजे वाली बस से जाने पर भेट द्वारका से लौटने में रात हो जाती है, जिससे आपको परेशानी हो सकती है। बस का किराया 120 – 150 रूपये रहता है।

 

Dwarka Tourist Places in Hindi

रुक्मणीदेवी मंदिर, द्वारका

बस से उतरकर रुक्मिणी मंदिर में प्रवेश करते समय वहां के पंडित आप को रोक कर रानी रुक्मिणी देवी की कथा सुनायेंगे। इसके बाद मुख्य मंदिर में रुक्मिणीजी के दर्शन करने देंगे। मंदिर में रुक्मिणीजी की अति मनमोहक प्रतिमा आपको मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर में रूक्मिणी जी और भगवान कृष्ण के चित्र और दीवारों पर जटिल नक्काशी बनी हैं। रुक्मिणी मंदिर का  शीर्ष एक ऊँचे शिखर के रूप में है, जिस पर कई सुन्दर स्त्रियों की अति प्राचीन नक्काशियां बनी हुई हैं। शिखर के ऊपर  लहराता हुआ केसरिया ध्वज मंदिर की शोभा बढ़ा रहा है। मंदिर का आधार उल्टे कमल पुष्प की तरह है, जिसमे हाथियों की कतार के ऊपर बने आलों में विष्णु भगवान की प्रतिमाएं बनी है।

मंदिर के पंडितों के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण व रुक्मिणीजी उनके कुलगुरु ऋषी दुर्वासा अतिथी सत्कार करने के लिए अपने रथ में सवार होकर ऋषी को निमंत्रण देने उनके आश्रम पहुंचे। दुर्वासा ऋषि ने एक शर्त रखी कि उन्हें ले जाने वाले रथ को केवल श्री कृष्ण व रुक्मिणी हांकेंगे। कृष्ण व रुक्मिणी ने उनकी मांग सहर्ष स्वीकार कर ली। रुक्मिणीजी को रथ हांकने के कुछ समय पश्चात थक गयीं व प्यास से व्याकुल होकर श्री कृष्ण की तरफ देखने लगीं। भगवान श्री कृष्ण जी ने शीघ्र अपने दाहिने चरण का अंगूठा धरती पर दबाया, जिससे गंगा नदी की धार प्रकट हो गयीं। रानी रुक्मिणी जी ने दुर्वासा मुनि से जलपान का पूछे बिना स्वयं ही जल ग्रहण कर लिया। यह देख दुर्वासा ने क्रोधित होकर श्री कृष्ण व रुक्मिणी को बिछड़ने का श्राप दे दिया। इसलिए रुक्मिणी का मंदिर कृष्ण मंदिर से दूर यहाँ बनाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने यहाँ की भूमि को भी बंजर हो जाने का श्राप दे डाला। इसलिए यहाँ के लोग नमक बना कर अपना जीवन यापन करते हैं। टाटा नमक का प्लांट भी यहीं पास बना में बना है। यहां से जल्दी फ्री हो जाइये, इसी सफ़र में आगे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी करने है।

 

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्वारका

आपको दो किलोमीटर दूर से ही भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक अति विशाल प्रतिमा दिखाई देने लगती है। यह 125 फीट ऊँची तथा 25 फीट चौड़ी प्रतिमा नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिसर में स्थित है। लाइन में लगकर मंदिर में प्रवेश करने पर पहले एक सभाग्रह आता है। गर्भगृह सभामंड़प से निचले स्तर पर स्थित है। यहाँ से आगे तलघर जैसे गर्भगृह में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते है। शिवलिंग के ऊपर एक चांदी का आवरण चढ़ा हुआ है और एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है। शिवलिंग के पीछे माता पार्वती की सुंदर मूर्ति स्थापित है। मंदिर के गर्भगृह में पुरुष भक्त केवल धोती पहन कर ही प्रवेश कर सकते हैं। बस यहाँ सिर्फ 20 मिनट के लिए रूकती है इसलिए समय का ध्यान रखें।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूरी जानकारी और दर्शन के लिए लिंक नीचे दिया गया है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – जहाँ भगवान शिव ‘नागेश्वर’ कहलाये और माता पार्वती ‘नागेश्वरी’।

 

गोपी तालाब, द्वारका

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से करीब 5 किमी की दूरी पर एक छोटा सा तालाब गोपी तालाब है। गोपी तालाब वह दिव्य स्थान है, जहां सभी गोपियों ने भगवान कृष्ण के साथ अपनी अंतिम बार रास लीला की थी। शरद पूर्णिमा की रात को अंतिम रास लीला के बाद गोपियों ने भगवान कृष्ण के साथ इसी तालाब में मोक्ष प्राप्त किया था। गोपियाँ पीली मिट्टी के रूप में परिवर्तित हो गई। इस तालाब की मिटटी चन्दन जैसी पीली है, इसलिए इसे हम गोपी चन्दन कहते है। इसमें कई प्रकार के दिव्य गुण होते हैं, जिनसे कई बीमारियों का इलाज होता हैं। यह चन्दन भक्तों के माथे पर तिलक लगाने के लिए उपयोग किया जाता हैं। कुछ समय तक इस सुन्दर तालाब के दर्शन करने के बाद हम बेट द्वारका के लिए चलते है।

 

बेट द्वारका, द्वारका

द्वारका से लगभग 30 किलोमीटर दूर ओखा के निकट स्थित है बेट द्वारका। यहाँ भगवान कृष्ण निवास निवास करते थे और उनका दरबार (कार्यालय) द्वारका में लगता था। भगवान श्रीकृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा जी से भेंट होने के कारण भी इसे बेट द्वारका कहा जाता है। समुद्र के कुछ किलोमीटर अन्दर एक छोटे से द्वीप (Island) पर स्थित बेट द्वारका पहुँचने के लिए छोटा जहाज या नाव की सहायता लेनी पड़ती है। नाव में बैठने के बाद खुले आकाश के नीचे सुहाने सफ़र का आनंद लेते हुए लगभग आधे घंटे के आप बेट द्वारका पहुँच जाते है। कहते है कि समुद्र में पूरी द्वारका नगरी डूब गई थी, पर बेट द्वारका एक टापू के रूप में आज भी बची है।

 

बेट द्वारका में श्री द्वारकाधीश दर्शन

बेट द्वारका पहुचने के बाद आपको एक पतली सड़क से भगवान श्री कृष्ण के मुख्य मंदिर जो एक समय भगवान कृष्ण और उनके परिवार का निवास था, की ओर जाना है। मंदिर पहुचने के बाद एक बहुत बड़ी चहारदीवारी के घेरे के भीतर पांच बड़े-बड़े महल है। प्रथम महल सबसे बड़ा भगवान श्रीकृष्ण का महल है। इस महल से दक्षिण दिशा में रानी सत्यभामा और जाम्बवती की के महल बने है। रूक्मिणी और राधा रानी का महल उत्तर दिशा में है। इन सभी महलों के दरवाजों और चौखट पर चांदी की परत चढ़ी हुई है। भगवान कृष्ण और उनकी चारों रानियों के सिंहासनों को भी चांदी से मढ़ा गया है। ये सभी मनमोहक प्रतिमायें हीरे, मोती और सोने के गहने से सुसज्जित और खूबसूरत जरी को कपड़ों से सजी हुई अपनी आभा बिखेर रही है। इस सभी का दर्शन करने के बाद मंदिर में हांडी से माखन चुराते बालकृष्ण, गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा में उठाये गोवर्धनधारी, वन में बांसुरी बजाते कृष्ण, गज को पूंछ से उठाये भगवान श्री कृष्ण के चित्र और नक्काशी हमारे ह्रदय में अमित छाप छोड़ जाते है। बेट द्वारका में रणछोड़ तालाब, रत्न तालाब, कचौरी तालाब और शंख तालाब आदि कई तालाब बने है। अगर आप बस से आयें है तो समय का ध्यान रखे आपको वापस भी लौटना है। अगर आप पूरे दिन का समय लेकर आये है, तो बेट द्वारका में घूमने के लिए बहुत कुछ है। वापस ओखा लौटने अगर आपकी बस जा चुकी है तो निराश नहीं होइए। यहाँ से दूसरी बस आपको मिल जाएगी, जिससे आप नाममात्र के शुल्क में द्वारका वापस जा सकते है।

 

सोमनाथ यात्रा – अतुलनीय, अकल्पनीय, अमूल्य और अलौकिक अनुभव

 

3 दिन में सोमनाथ और द्वारका की यात्रा के साथ नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन

 

नागेश्‍वर यात्रा की जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर संपर्क करें।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – जहाँ भगवान शिव ‘नागेश्वर’ कहलाये और माता पार्वती ‘नागेश्वरी’।

 

Dharamshala in Dwarka – द्वारका में धर्मशालाओं की जानकारी, कम किराये में अच्छी धर्मशाला

 

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