ओंकारेश्वर यात्रा – श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और परिक्रमा पथ एवं प्रमुख स्थलों की सम्पूर्ण जानकारी – Omkareshwar Tour Guide

 

ओंकारेश्वर यात्रा दर्शन

Key Highlights

Omkareshwar Me Ghumne Ki Jagah

 

ओंकारेश्वर कैसा है?

Omkareshwar Jyotirlinga – हरियाली की चादर ओढा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में माँ नर्मदा नदी के तट पर, मन्धाता नाम के आइलैंड पर स्थित है क्योकि यहाँ माँ नर्मदा ॐ के आकार में बहती है। इसलिए इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जो चौथे स्थान पर है। यह  ज्योतिर्लिंगों से इसलिए अलग है क्योंकि यहां भगवान शंकर दो रूप में विराजमान हैं, एक ओंकारेश्वर और दूसरे ममलेश्वर। दो ज्योतिर्लिंग के रूप में होने पर भी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को एक ही गिना जाता है। कुल 68 तीर्थ ओम्कारेश्वर में है। ओंकारेश्वर के हरे भरे पर्वतों की सुन्दरता और पवित्रता एक जादू की तरह आपके मन को मन्त्र मुग्ध कर देती है।

 

ओंकारेश्वर का महत्त्व

भगवान महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ओमकारेश्वर की महिमा ऐसी है कि भगवान शिव और माता पार्वती प्रतिदिन तीनो लोकों में विचरण करते है और रात्री में विश्राम करने ओम्कारेश्वर आते है। महादेव और माता पार्वती रोज रात को पांसे से चौसर खेलते है। रोज रात को शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने चौसर और पांसे सीधे जमाये जाते है। रात में गर्भ गृह में कोई प्रवेश नही कर सकता पर जब सुबह गर्भ गृह खुलता है तो पांसे उलटे पड़े मिलते है। यह अपने आप में एक आश्चर्यजनक सत्य है।

 

नर्मदाजी का महत्त्व

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ नर्मदाजी का भी विशेष महत्व है। यहाँ घाट के पास नर्मदाजी को कोटितीर्थ या चक्रतीर्थ माना जाता है। यहीं नर्मदा नदी में स्नान करके सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऑकारेश्वर के मन्दिर में दर्शन करने जाते हैं। शास्त्र मान्यता के अनुसार जमुनाजी में पंद्रह दिन स्नान और गंगाजी में सात दिन का स्नान करने से जो पुण्यफल प्राप्त होता है उतना ही पुण्यफल नर्मदाजी में एक बार स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।

 

ओंकारेश्वर कैसे जाये?

हवाई मार्ग से

ओंकारेश्वर के सबसे पास इंदौर में देवी अहिल्याबाई होल्कर एअरपोर्ट है। यह ओंकारेश्वर से लगभग 84 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यहाँ वाराणसी, दिल्ली, लखनऊ, काठमांडू, भोपाल, हैदराबाद और कोलकाता और अन्य शहरों से एयर इंडिया, जेट एयरवेज, इंडिगो, स्पाइस जेट की फ्लाइट्स मिल सकती है। आप इंदौर पहुचने के बाद टैक्सी, बस या कैब से ओम्कारेश्वर पहुँच सकते है।

सड़क मार्ग से

ओंकारेश्वर जाने के लिए खंडवा और इंदौर से मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एमपीआरटीसी) बसें चलती है। इसके अलावा कुछ निजी ट्रेवल्स की AC और NON AC बसें भी उपलब्ध है। आप बस, टैक्सी या खुद के वाहन से खंडवा रोड पर बड़वाह, मोरटक्का होते हुए लगभग ढाई घंटे में ओंकारेश्वर पहुच सकते है। इंदौर (मप्र) से ओंकारेश्वर दूरी लगभग 80 किमी होती है। इंदौर से ओंकारेश्वर जाने के लिए सुबह से ही बसें चलना शुरू हो जाती हैं। निजी बसों में किराया 100 से 150 रुपए होता है। सबसे अच्छी मप्र पर्यटन की एसी बस है जो सुबह 8.15 पर चलती है। इसमें किराया 100 रु. रखा गया है।

रेलवे मार्ग से

ट्रेन से ओंकारेश्वर जाने के लिए खंडवा जंक्शन सबसे उपयुक्त है। भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन खंडवा आती जाती है। दूसरा विकल्प इंदौर है। इंदौर में खंडवा की अपेक्षा कम शहरों से ट्रेन आती जाती है।  ट्रेन से खंडवा या इंदौर पहुचने के बाद आप बस, टैक्सी या कैब करके ओम्कारेश्वर पहुच सकते है।

 

ओम्कारेश्वर जाने के लिए उपयुक्त मौसम

भगवान के दर्शन के लिए हर समय सही होता है। ओम्कारेश्वर में अप्रैल से जून तक बहुत गर्मी पड़ती है। जुलाई से मार्च तक मौसम अच्छा रहता है।

 

ओंकारेश्वर में रुकने की जगह

ओम्कारेश्वर में कई AC और Non AC होटल, रूम  सर्विस और रेस्टारेंट के साथ उपलब्ध हैं। ओमकारेश्वर में सबसे अच्छा सर्वसुविधा युक्त श्री गजानन महाराज संस्थान शेगांव द्वारा निर्मित भक्त निवास है। इसमें 60 से अधिक कमरे (AC और Non AC) और कई बड़े हाल (AC और Non AC) उपलब्ध है। एक अति स्वच्छ भोजनालय भी है, जिसमे चाय, नाश्ता, उपवास का नाश्ता और भोजन की थाली भी रिजनेबल रेट पर उपलब्ध है| भक्तनिवास के परिसर में श्री गजानन महाराज का अत्यंत सुंदर मंदिर है| भक्तनिवास में मंदिर के निकट स्थित है। इसके अलावा ओमकारेश्वर में लगभग 60 से अधिक धर्मशालाएं हैं जो कि अलग अलग  समाज एवं संप्रदायों द्वारा निर्मित एवं संचालित है। कई धर्मशालाओं के कमरे बहुत ही व्यवस्थित एवं साफ-सुथरे है।

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन

Omkareshwar Jyotirlinga in Hindi – ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुचने के दो रास्ते है। यहाँ नर्मदाजी के तट पक्का घाट है। वहां से नाव से नर्मदाजी को पार करके उस ओर मंदिर के घाट पर पहुचते है। यहीं नर्मदा नदी में स्नान करके सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऑकारेश्वर के मन्दिर में दर्शन करने जाते हैं। दूसरा रास्ता पुल से होकर जाता है पुल से माँ नर्मदा का अति सुन्दर द्रश्य दिखाई देता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का परिसर एक पांच मंजिला भवन के रूप में है जिसकी पहली मंजिल पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है भवन की तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव स्थापित है, चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।

ओमकारेश्वर मंदिर में 15 फीट ऊँचे 60 बड़े बड़े स्तम्भ हैं। मंदिर के में भक्तों के लिए भोजनालय भी चलाया जाता है, जहाँ पर नाममात्र के शुल्क पर भोजन प्रसाद मिलता है। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ट्रस्ट का कार्यालय परिसर में ही स्थित है| दर्शन करने के लिए लाइन में लगना होता है। फूल, बेलपत्र, दूध इत्यादि चढाने के लिए VIP दर्शन पास लेना होता है। जो लोग शारीरिक रूप से अक्षम या अति वृद्ध है। उन्हें पंक्ति में लगने की आवश्यकता नहीं है, उन के लिए भी विशेष दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराइ जाती है। इसके लिए मंदिर के स्टाफ के अधिकारियों से संपर्क कर सकतें है।

ऑनलाइन शीघ्र दर्शन (VIP) टिकट मूल्य :- 500/-

ऑनलाइन VIP टिकट बुक करने के लिए मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट लिंक :

http://shriomkareshwar.org/HOnlineticketbooking.aspx

 

ओंकारेश्वर दर्शन समय

मंदिर खुलने का समय:

प्रातः काल 5 बजे – मंगला आरती एवं नैवेध्य भोग

प्रातः कल 5:30 बजे – दर्शन प्रारंभ

मध्यान्ह कालीन भोग:

दोपहर 12:20 से 1:10 बजे – मध्यान्ह भोग (दर्शन बंद)

दोपहर 1:15 बजे से – पुनः दर्शन प्रारंभ

सायंकालीन दर्शन:

दोपहर 4 बजे से – भगवान् के दर्शन

(जल और बिल्ब पत्र चार बजे के बाद चढ़ा नहीं सकते है।)

शयन आरती:

रात्रि 8:30 से 9:00 बजे – शयन आरती

रात्रि 9:00 से 9:35 बजे – भगवान् के शयन दर्शन

 

ओंकारेश्वर में अभिषेक कैसे करें?

मंदिर के मुख्य गर्भगृह में शिवलिंग अभिषेक करने पर प्रतिबंधित लगा है, लेकिन भक्तों को अभिषेक करने में लिए मंदिर में एक “अभिषेक हॉल” बनाया गया है जहाँ पर मंदिर के पुजारियों द्वारा अभिषेक और पूजन का कार्य संपन्न करवाया जाता है। महादेव का अभिषेक के लिए ओमकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय में संपर्क करें अथवा आप ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से अभिषेक करने के लिए बुकिंग कर सकते है।

 

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

कई वर्षों पूर्व महामुनि नारद विन्ध्य पर्वत से मिलने पहुंचे। तब विन्ध्य पर्वत बहुत अहंकारी हो चुका था। अपने अहंकार के मद में चूर होकर उसने नारदजी से कहा, मै बहुत विशाल और सर्वगुण सम्पन्न हूं,मेरे जैसा कोई नहीं है। नारदजी को विन्ध्य पर्वत का घमंडी व्यव्हार उचित नहीं लगा। तब नारदजी ने विन्ध्याचल पर्वत के घमंड को तोड़ने के लिए कहा कि भले ही तुम सर्वगुण संम्पन्न हो पर तुम मेरु पर्वत जितने ऊँचे नहीं हो। मेरु पर्वत की ऊंचाई तुमसे बहुत ज्यादा है। नारदजी के कथन को सुनकर विन्ध्य पर्वत को बहुत दुख और पीड़ा हुई उसे मेरु पर्वत की ऊँचाई से उसे ईर्षा होने लगी। तब विंध्याचलपर्वत ने भगवान महादेव की शरण में जाने का निश्चय किया। जहां कण कण में साक्षात ओंकार उपस्थित हैं। वहां उसने एक मिट्टी का शिवलिंग स्थापित किया और भगवान भोलेनाथ की कठिन तपस्या करने लगा। कई वर्षो की कठिन तपस्या से भगवान शिवजी अति प्रसन्न हुए। उन्होंने ने विन्ध्य पर्वत को अपने दिव्य स्वरूप के दुर्लभ दर्शन दिए। भगवान शिव ने विन्ध्य को जिस प्रकार का कार्य करना चाहे, वैसा कार्य करने का वर विन्ध्य को दिया। तब तक वहां कई  देवतागण तथा ऋषिमुनि भी उपस्थित हो गये। उन्होंने भी महादेव की विधिवत पूजा अर्चना की और उनसे प्रार्थना की – हे भोलेनाथ आप सदैव के लिए यहां स्थापित होकर निवास करें। भगवान अपने भक्तों पर प्रसन्न थे उन्होंने प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। वहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो गया। एक प्रणव के अन्तर्गत शिवलिंग ओंकारेश्वर और दूसरा पार्थिव लिंग ममलेश्वर एंव अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से विश्वविख्यात हुए।

 

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन

पांच मंजिल मंदिर में बने ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। यहाँ हर मंजिल पर शिवालय बना हुआ है| इस मंदिर के आंगन में और छह मंदिर भी हैं| बहुत प्राचीन समय से यहाँ भगवान शिव की पूजा अर्चना की जा रही है| कई वर्षों पहले प्रतिदिन 22 ब्राम्हण सवा लाख शिव लिंगों के द्वारा ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का पूजन करते थे| समय बीतने पर धीरे धीरे यह संख्या घटकर पहले 11 और फिर 5 ब्राम्हणों में सिमट गई है| इस मंदिर में शिव स्त्रोत्र एक शिलालेख के रूप में स्थित है यह 1863 AD से दिनांकित है|

 

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ओम्कारेश्वर में कई मंदिर स्थित हैं। माँ नर्मदा के दोनों तट पर बहुत से मंदिर स्थापित हैं और ओमकार पर्वत का पूरा परिक्रमा मार्ग कई प्रकार के मंदिरों और आश्रमो से भरा हुआ है।

 

ओंकारेश्वर परिक्रमा

ओमकार पर्वत का परिक्रमा पथ

ओम्कारेश्वर में ओमकार नामक पर्वत पर स्थित है। जिसकी परिक्रमा करने के लिय 7 किलोमीटर लंबा रास्ता बना है। पूरे रास्ते में अति मनभावन दृश्य देखने को मिलते है। परिक्रमा पथ पर बहुत से सुन्दर सुन्दर मंदिर और आश्रम स्थित है। परिक्रमा के मार्ग पर अतिसुंदर संगम स्थल भी मिलता है। परिक्रमा मार्ग में मिलने वाले मुख्य मंदिर की जानकारी नीचे दी जा रही हैं।

 

ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर ओंकारेश्वर

ओम्कारेश्वर के परिक्रमा पथ पर भगवान महादेव का मंदिर स्थित है।  यह मंदिर ऋण मुक्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता हैं इस मंदिर में मान्यता है कि जो यहाँ पूजन करता है वह समस्त ऋणों से मुक्त हो जाता हैं।

 

गौरी सोमनाथ मंदिर ओंकारेश्वर

ओमकारेश्वर के अति पुराने मंदिरों में से एक गौरी महादेव मंदिर है। यह ओमकार पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में साढ़े 6 फीट ऊँचा शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग एकदम काले पत्थर से बना है और स्पर्श करने पर बहुत चिकना लगता है इस मंदिर में नंदी जी की बहुत विशाल प्रतिमा स्थापित है।

 

रामकृष्ण मिशन साधना कुटीर ओंकारेश्वर

ओमकारेश्वर में रामकृष्ण मिशन का एक आश्रम साधना कुटीर बना है। इस आश्रम के साधु संत नर्मदा नदी के किनारे भक्तिपूर्वक साधना और ध्यान करते हैं।

 

विशाल शिव प्रतिमा मंदिर ओंकारेश्वर

ओमकारेश्वर परिक्रमा मार्ग पर चलते चलते भगवान शिव की एक ऊँची प्रतिमा दिखाई देगी। यह प्रतिमा 90 फीट ऊँची है जो राज राजेश्वरी सेवा संस्थान द्वारा निर्मित शिव मंदिर में स्थापित है।

 

पाताली हनुमान मंदिर ओंकारेश्वर

ओमकारेश्वर के परिक्रमा पथ पर हनुमानजी का एक सिद्ध मंदिर स्थित है| यह मंदिर में हनुमानजी लेटकर विश्राम करने की मुद्रा में है|

 

श्री राम मंदिर ओंकारेश्वर

परिक्रमा पथ पर एक और मंदिर राम मंदिर है इस मंदिर में भगवान राम की अति मनमोहक और सुन्दर प्रतिमा स्थापित की गई है। इसका निर्माण राजराजेश्वरी सेवा संसथान द्वारा किया गया है।

 

ओम्कारेश्वर के अन्य मंदिर
अन्नपूर्णा मंदिर ओमकारेश्वर

यह प्राचीन मंदिर अन्नपूर्णा मंदिर ट्रस्ट इंदौर द्वारा निर्मित है। इस मंदिर में माता के तीनों रूप माँ लक्ष्मी, माँ पार्वती और माँ सरस्वती विराजमान है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की भगवत गीता वाले विराट स्वरूप में  35 फिट ऊंची मूर्ति स्थापित है। यह यहाँ के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

 

विष्णु मंदिर ओमकारेश्वर

यह मंदिर ओमकारेश्वर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। यहाँ भगवान विशाल विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है।

 

श्री गजानंद महाराज (शेगांव) मंदिर ओमकारेश्वर

श्री गजानंद महाराज (शेगाँव) का यह मंदिर भक्त निवास में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण संगमरमर और धौलपुरी के पथ्थरों से किया गया है यह अति सुन्दर और दर्शनीय मंदिर है। यह भक्तनिवास ओम्कारेश्वर में ठहरने का सबसे अच्छा और सस्ता स्थान है।

 

Dharamshala in Omkareshwar -ओम्कारेश्वर में धर्मशालाओं की जानकारी, कम बजट में सबसे अच्छी धर्मशाला

 

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